आज दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जा रहा है। दुनिया में लगभग 13 या 14 ही ऐसे देश है जहां बाघ की प्रजाति पाई जाती है, वहीं भारत में उत्तराखंड को बाघों की नर्सरी भी कहा जाता है। यहां हर साल बाघों की संख्या में इजाफा हो रहा है।
उत्तराखंड में 2022 में हुई बाघों की गणना में उत्तराखंड में कुल 560 बाघ मौजूद थे, जिनमें सब से अधिक 225 बाघ कॉर्बेट पार्क में मौजूद है जबकि अगर बाघों की मौत की बात को जाए तो पिछले 5 सालों में 70 से अधिक बाघों की मौत उत्तराखंड में हुई है जिनमें अधिकतर आपसी संघर्ष में मारे गए हैं।
उत्तराखंड में ज्यादा है बाघों का घनत्व
जहां एक बाकी टेरिटरी पूरी दुनिया में 18 से 21 किलोमीटर मानी जाती है वहींं यही टेरिटरी कॉर्बेट नेशनल पार्क में 5 से 7 किलोमीटर तक ही रह गई है क्योंकि यहां बाघों का घनत्व उम्मीद से कहीं ज्यादा है।
यहां संतुलन बनाने के लिए यहां से कई बाघों को उत्तराखंड के अन्य हिस्सों में भी भेजा जा रहा है जैसे 5 बाघ हरिद्वार के राजाजी नेशनल पार्क में भेजे गए थे वहींं नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी का अभी और भी बाघों को ट्रांसफर करने का कार्यक्रम चलने वाला है जिसके अंतर्गत कॉर्बेट से कुछ बाघों को अन्य जगहों पर भेजा जाएगा।
शुरू हो गई है काउंटिंग
वहीं फेस 4 की काउंटिंग एक बार फिर से उत्तराखंड में शुरू हो चुकी है जो कि साल 2026 में समाप्त होगी और बाघों के आंकड़े सामने आएंगे इसमें उम्मीद जताई जा रही है कि इस बार बाघों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है।
अब देखना यह होगा कि इस बार जो आंकड़े सामने आएंगे उससे जो उम्मीद उत्तराखंड के फॉरेस्ट के अधिकारी लग रहे हैं क्या उसके अनुसार सही में उत्तराखंड में बाघों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।
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