देहरादून। राज्यपाल उत्तराखंड ले0जन0 (अ.प्रा.) गुरमीत सिंह को लिखे पत्र में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि मैं आपके समक्ष अत्यंत गंभीर और संवैधानिक महत्व का एक ऐसा मामला प्रस्तुत कर रहा हूँ जो राज्य की लोकतांत्रिक प्रक्रिया की निष्पक्षता पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में, उत्तराखंड के राज्य निर्वाचन आयुक्त (पंचायती राज) के पद पर कार्यरत सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी सुशील कुमार ने एक निर्देश, निर्णय जारी किया है जिसमें कहा गया है कि शहरी निकायों (नगर पालिका,नगर निगम) और ग्रामीण निकायों (ग्राम पंचायत) दोनों में मतदाता के रूप में पंजीकृत व्यक्ति ग्रामीण निकायों में चुनाव लड़ सकता है। निर्वाचन आयुक्त का यह निर्णय प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 और 1951 का स्पष्ट उल्लंघन है, जिसके तहत एक व्यक्ति एक समय में केवल एक ही निर्वाचन क्षेत्र में मतदाता के रूप में पंजीकृत हो सकता है। इसके अलावा, उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से स्पष्ट किया है कि ऐसा प्रावधान अवैध और असंवैधानिक है। करन माहरा ने कहा है कि राज्य निर्वाचन आयोग की यह कार्रवाई एक गंभीर संवैधानिक चूक और कदाचार को दर्शाती है, जो आयोग की निष्पक्षता और विश्वसनीयता पर संदेह उत्पन्न करती है। ऐसी स्थिति में सुशील कुमार का अपने पद पर बने रहना मौलिक लोकतांत्रिक सिद्धांतों के विपरीत होगा।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने महामहिम राज्यपाल से अनुरोध किया है कि इस मामले का तत्काल संज्ञान लेते हुए सुशील कुमार को उनके पद से हटाने के लिए उचित संवैधानिक कार्रवाई की जाय। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने महामहिम राज्यपाल से मुलाकात का समय भी चाहा है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया है कि राज्यपाल की ओर से इस मुद्दे पर शीघ्र, निष्पक्ष और संवैधानिक कार्रवाई की जाएगी। मीडिया विभाग उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने महामहिम राज्यपाल उत्तराखंड ले0जन0 (अ.प्रा.) गुरमीत सिंह से राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार को उनके पद से हटाये जाने की मांग की है।
राज्यपाल उत्तराखंड ले0जन0 (अ.प्रा.) गुरमीत सिंह को लिखे पत्र में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि मैं आपके समक्ष अत्यंत गंभीर और संवैधानिक महत्व का एक ऐसा मामला प्रस्तुत कर रहा हूँ जो राज्य की लोकतांत्रिक प्रक्रिया की निष्पक्षता पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में, उत्तराखंड के राज्य निर्वाचन आयुक्त (पंचायती राज) के पद पर कार्यरत सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी सुशील कुमार ने एक निर्देशध्निर्णय जारी किया है जिसमें कहा गया है कि शहरी निकायों (नगर पालिकाध्नगर निगम) और ग्रामीण निकायों (ग्राम पंचायत) दोनों में मतदाता के रूप में पंजीकृत व्यक्ति ग्रामीण निकायों में चुनाव लड़ सकता है। निर्वाचन आयुक्त का यह निर्णय प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 और 1951 का स्पष्ट उल्लंघन है, जिसके तहत एक व्यक्ति एक समय में केवल एक ही निर्वाचन क्षेत्र में मतदाता के रूप में पंजीकृत हो सकता है। इसके अलावा, उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से स्पष्ट किया है कि ऐसा प्रावधान अवैध और असंवैधानिक है। करन माहरा ने कहा है कि राज्य निर्वाचन आयोग की यह कार्रवाई एक गंभीर संवैधानिक चूक और कदाचार को दर्शाती है, जो आयोग की निष्पक्षता और विश्वसनीयता पर संदेह उत्पन्न करती है। ऐसी स्थिति में सुशील कुमार का अपने पद पर बने रहना मौलिक लोकतांत्रिक सिद्धांतों के विपरीत होगा। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने राज्यपाल से अनुरोध किया है कि इस मामले का तत्काल संज्ञान लेते हुए सुशील कुमार को उनके पद से हटाने के लिए उचित संवैधानिक कार्रवाई की जाय।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने महामहिम राज्यपाल से मुलाकात का समय भी चाहा है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया है कि राज्यपाल की ओर से इस मुद्दे पर शीघ्र, निष्पक्ष और संवैधानिक कार्रवाई की जाएगी।
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